
The Bikaner Times -पॉक्सो के आरोपी को पैरोल देने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। आरोपी अब उस शहर या गांव में पैरोल नहीं काट सकता, जिसमें पीड़िता रहती है। चाहे वह उसी गांव या शहर का रहने वाला हो। तब भी पैरोल दूसरी जगह काटना होगा। फैसला राजस्थान हाईकोर्ट के जज जस्टिस दिनेश मेहता और राजेंद्र प्रकाश सोनी की बेंच ने दिया है। मामले के अनुसार 3 साल की बच्ची से रेप के मामले में आरोपी अजमेर जेल में सजा काट रहा है। उसने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी ने पीड़िता का पक्ष रखते हुए आरोपी की पैरोल खारिज करने की मांग की थी। कोर्ट में कहा कि पैरोल जारी करने से आरोपी पीड़िता के सामने जाएगा और पीड़िता के सामाजिक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर गलत प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि आरोपी पीड़िता का पड़ोसी है।
हाईकोर्ट ने फैसले में कहा- पीड़ित और आरोपी के बीच संपर्क नहीं होना चाहिए। पीड़िता जिस घटना को भूलना चाहती है। आरोपी के सामने होने से वह घटना फिर से याद आएगी। पीड़िता की सुरक्षा भावनात्मक पहलु और आरोपी के वैधानिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाते हुए हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया। आरोपी को पीड़िता के निवास स्थान से दूर पैरोल काटने के शर्त पर पैरोल याचिका मंजूर की गई।
आरोपी को 20 दिन की पैरोल
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 20 दिन की पैरोल के साथ शर्त रखी। शर्त के अनुसार आरोपी पीड़िता के गांव में नहीं जा सकेगा। भले ही उस गांव में उसका मकान हो या परिवार रहता हो। आरोपी को पीड़िता के गांव से बाहर ही पैरोल काटनी पड़ेगी। साथ ही 50 हजार के निजी बॉन्ड और 25 हजार रुपए की दो जमानत राशि पर 20 दिन की पहली पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया। आरोपी अपनी पैरोल पुलिस स्टेशन कुचेरा के गांव गंजू में काटेगा और पीड़ित के गांव नहीं जाएगा।