
The Bikaner Times – पीओपी फैक्ट्रियों की लापरवाही से बढ़ा प्रदूषण, ग्रामीणों में आक्रोश
बीकानेर। खारा औद्योगिक क्षेत्र में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) फैक्ट्रियों से निकलने वाली धूल और गर्द एक बार फिर स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत बन गई है। एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) के निर्देश पर हाल ही में जयपुर से आए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने क्षेत्र का निरीक्षण किया, लेकिन बारिश के चलते जांच अधूरी रह गई। बावजूद इसके, बोर्ड अब नियमों की अनदेखी करने वाली फैक्ट्रियों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी में है।
इस क्षेत्र में 120 से अधिक पीओपी फैक्ट्रियां संचालित हैं। कुछ समय पहले प्रदूषण नियंत्रण के लिए सभी इकाइयों को डस्ट कलेक्टर, सेटलिंग चैंबर और वाटर स्क्रबर लगाने के निर्देश दिए गए थे। शुरुआत में इन उपायों से स्थिति सुधरी, लेकिन अब कई फैक्ट्रियों ने ये सिस्टम बंद कर दिए हैं। नतीजतन, चिमनियों की बजाय नीचे से धुआं और गर्द निकल रही है, जिससे हवा में प्रदूषण का स्तर फिर से खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि जयपुर से आई टीम ने जांच में स्पष्ट रूप से पाया कि अधिकतर फैक्ट्रियां पर्यावरण मानकों का पालन नहीं कर रही हैं। स्थानीय लोगों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल कार्यालय पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि फैक्ट्री संचालकों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, मार्च में हुई अंतिम जांच में पीएम 10 स्तर 150 से 200 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के बीच दर्ज किया गया था, जो मानक से कहीं अधिक है। मानसून के दौरान स्थिति और बिगड़ गई है और सर्दियों में हालात और भी भयावह हो सकते हैं।
गौरतलब है कि पूर्व में प्रदूषण के चलते 20 फैक्ट्रियों को बंद किया गया था, जिनमें से पांच को दोबारा शुरू करने की अनुमति मिल गई, जबकि बाकी या तो बंद पड़ी हैं या गांवों की ओर स्थानांतरित हो गई हैं।
अब यह देखना होगा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस बार कितनी गंभीरता से कार्रवाई करता है और खारा क्षेत्र के निवासियों को कब तक इस सांस घोंटू प्रदूषण से राहत मिलती है।

 

