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नवयुगल जोड़े ने समुद्र मंथन से निकले पारीजात नामक पोंधे का किया वृक्षारोपण, पर्यावरण के क्षेत्र में की नई पहल,देखें पूरी खबर

The Bikaner Times – नवयुगल जोड़े ने समुद्र मंथन से निकले पारीजात नामक पोंधे का किया वृक्षारोपण, पर्यावरण के क्षेत्र में की नई पहल।

श्रीडूंगरगढ़ पर्यावरण प्रेमी इन्द्र चन्द धर्म परायण विमला देवी सोनी महेश्वरी के पुत्र पवन कुमार पुत्र वधु एडवोकेट दीपिका संग परिणय सूत्र समारोह के बाद शीघ्र पारीजात पोंधे का वृक्षारोपण किया गया। समूचे राष्ट्र को एक नया संदेश दिया है।इस अवसर पर गणमान्य जनों की उपस्थिति में एक कार्यक्रम भी रखा गया। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता मोहनलाल सोनी ने की। मुख्य अतिथि तोलाराम मारू रहे। और इस अवसर पर अन्य जन भी इस ऐतिहासिक पल के साक्षी रहे और इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट मोहन लाल सोनी ने कहा कि एक नव विवाहित कपल द्वारा इस तरह का कदम उठाना बहुत ही सराहनीय कार्य है । जिससे समाज को एक नई दिशा मिलेगी और दिन रात बढ़ रही भूमण्डलीय उष्णता भी कम होगी और कहा कि बेटी दीपिका बेटे पवन तुमने बहुत अच्छी पहल की है अगर यह रिवाज चल पडी़ तो हमारा गाँव श्री डूंगरगढ़ हरा भरा हो जाएगा इसके पश्चात धरती पुत्र की उपाधि प्राप्त इन्द्र चन्द सोनी ने कहा कि इस पल के साक्षी सिर्फ हम ही नहीं है सूर्य, चन्द्र, इन्द्र और सभी दिशाओं के साथ ग्रह नक्षत्र और मेरे गुरु गौरक्षनाथ भगवान् भी अदृश्य रूप से इस पल के साक्षी है! धर्म प्रेमी इन्द्र चंद सोनी ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है सुदूर से लाया गया यह पोधा भगवान श्रीकृष्ण की बड़ी मूर्ति के निकट लगाया गया है।

मुख्य अतिथि तोलाराम मारू ने कहा कि शादी के बाद तत्काल मतदान करने की बात सुनते आ रहे हैं। लेकिन पर्यावरण प्रेमी इन्द्र चन्द्र सोनी की सोच पहले से ही थी कि शादी के बाद नवयुगल जोड़े द्वारा पारीजात का पोधा लगाया जायेगा। शादी से पूर्व इस पोंधे को भारत भूटान सीमा जयगांव से लाया गया था। उपस्थित सभी जनों ने इस अच्छी सोच के लिए इन्द्र चंद सोनी को तालियां बजाकर धन्यवाद दिया।मारू ने बताया कि यह पोधा साधारण श्रेणी का पोधा नहीं है। भागवत कथा में भी इसका वर्णन आता है। औषधीय गुणों से भरपूर पारीजात के इस वृक्ष को सत्यभामा कहने से भगवान श्रीकृष्ण भगवान इन्द्र से लेकर आयें थे। जिसकी पूजा भी करते हैं।

समुद्र मंथन से चोदह रत्न निकले थे। जिसमें अमृत कलश एरावत नामक हाथी उचैश्रवा नामक घोडा कामधेनु गाय।काल कुट विष पारीजात वृक्ष आदि निकले थे। इन्द्र चंद जी के पिता श्री रामेश्वर लाल सोनी सदा असहायो की मदद करते थे। इनके सुपुत्र इन्द्र चंद सोनी की कर्म भूमि जयगांव भूटान है। लेकिन अपनी जन्म भूमि से सदा लगाव रखते हैं।जो समय-समय पर वृक्षारोपण भी करते हैं। इस अवसर पर अरविंद चांडक शान्ता महेश्वरी जीवदया गौ शाला के नरेश गिरी किशन प्रजापत आदि भी कार्यक्रम के साक्षी रहे।