Thebikanertimes:-देश में कृषि उत्पादन घट सकता है। इसके चलते अनाज, दलहन और चीनी जैसी जरूरी चीजें महंगी हो सकती हैं। वित्त मंत्रालय ने आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि इस बीच दुनियाभर में बढ़ रहा भूराजनैतिक तनाव अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी कर सकता है। मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 1 अप्रैल से शुरू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 6.5% आर्थिक विकास का अनुमान वर्ल्ड बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के अनुमानों के अनुरूप है। इसके अलावा महंगाई भी कम रहने की संभावना है, लेकिन कुछ चुनौतियां इन अनुमानों के सही साबित होने को लेकर जोखिम पैदा कर सकती हैं। अल नीनो प्रभाव के चलते कम बारिश इनमें शामिल है।
फिलहाल ये तीन बड़ी चुनौतियां दे रहीं दस्तक*
1 .अल नीनो के चलते देश के एक बड़े हिस्से में सूखे जैसे हालात बन सकते हैं।
- कृषि उपज घट सकती है, दाम बढ़ सकते हैं और खपत कम हो सकती है।
3.तनाव, वैश्विक आर्थिक स्थिरता से स्थिति गंभीर हो सकती हैं।
अभी इन वजहों से दिख रही मजबूती-
◼️सरकार के चालू खाता घाटे में सुधार से सरकारी खर्च में इजाफा
■ महंगाई में कमी के रुझान से नीतिगत ब्याज दरें न बढ़ने के आसार
■ मजबूत होती बैलेंस शीट और पर्याप्त कैश वाला बैंकिंग सिस्टम
◼️बढ़ती आर्थिक स्थिरता के बीच अर्थव्यवस्था की टिकाऊ रफ्तार
अल नीनो की आशंका कितनी गंभीर?
मौसम विभाग के मुताबिक इस साल जून, जुलाई और अगस्त में अल नीनो की 70% आशंका है। जुलाई, अगस्त और सितंबर में इसकी आशंका 80% तक बढ़ जाएगी।
देश में 20 साल में 7 बार अल नीनो
देश ने 2001 से लेकर 2020 के बीच कुल सात बार अल नीनो को झेला है। इसकी वजह से चार बार सूखा पड़ा। इससे धान और सोयाबीन जैसी खरीफ फसलों का उत्पादन 16% तक घटा। खरीफ फसलों से देश की करीब आधी सालाना खाद्यान्न आपूर्ति होती है।