
The Bikaner Times -परिवर्तिनी एकादशी का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में रखा जाता है। इसे जलझूलनी एकादशी और डोल ग्यारस भी कहते हैं ।परिवर्तिनी एकादशी के दिन व्रत, श्रीहरि के मंत्रों का जाप और उनका अभिषेक करने से दुर्भाग्य, सौभाग्य में बदल जाता है।
इस साल जलझूलनी एकादशी 25 सितंबर 2023, सुबह 07.55 से अगले दिन 26 सितंबर, सुबह 5 बजे तक रहेगी. एकादशी का व्रत हमेशा सूर्योदय पर प्रारम्भ होता है और अगले दिन सूर्योदय के पश्चात समाप्त होता है. ऐसे में 25 सितंबर 2023 को एकादशी व्रत रखना उत्तम होगा।
पूजा विधि
जलझूलनी एकादशी व्रत के दिन ब्रह्ममुहुर्त में उठाकर अपने नित्य कार्य खत्म कर लेने चाहिए। इसके बाद पूजा स्थान की सफाई कर के उसे गंगा जल से शुद्ध करें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें। इसके बाद रोली, मौली, चंदन, फल फूल, चावल, दूध, दही, घी और कमल का फूल आदि सामग्रियों को भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित करें।
एक लोटे या कलश में जल भरकर उसमें तुलसी पत्ते डालें। भगवान विष्णु को तुलसी पत्ते बहुत प्रिय है। इसके बाद भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु को जनेऊ अर्पित करें। विष्णु जी के विष्णु सहस्त्रनाम पाठ का जाप करें। जलझूलनी एकादशी के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करना भी मंगलकारी माना जाता है। इसीलिए विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी के लक्ष्मी अष्टोत्तर पाठ का जाप करें। द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दीक्षा दें और व्रत का पारण करें।
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