
The Bikaner Times – भारत में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए पेरेंट्स की अनुमति लेना अनिवार्य…
अब भारत में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए पेरेंट्स की अनुमति लेना अनिवार्य होगा। केंद्र सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP), 2023 के तहत नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया है। यह ड्राफ्ट 3 जनवरी को जारी किया गया, जिसमें पेरेंट्स की सहमति लेने और डेटा सुरक्षा के प्रावधानों पर विस्तृत निर्देश दिए गए हैं।
ड्राफ्ट के प्रमुख प्रावधान
1. पेरेंट्स की सहमति अनिवार्य
नाबालिगों के व्यक्तिगत डेटा का इस्तेमाल करने से पहले सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म को पेरेंट्स की अनुमति लेनी होगी। कंपनियों को सुनिश्चित करना होगा कि सहमति देने वाला व्यक्ति वयस्क है।
2. डेटा प्रोसेसिंग पर सख्त नियम
- डेटा फिड्युशरी कंपनियों को बच्चों का डेटा सिर्फ उतने समय तक रखने की अनुमति होगी, जितने समय के लिए सहमति दी गई हो।
- तय समय के बाद डेटा को डिलीट करना अनिवार्य होगा।
- ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया और गेमिंग प्लेटफॉर्म इस नियम के दायरे में आएंगे।
3. डेटा सुरक्षा के अधिकार
- डेटा मालिक (नाबालिग या उनके पेरेंट्स) को अपने डेटा तक पहुंचने और उसे अपडेट करने का अधिकार होगा।
- वे किसी भी समय डेटा प्रोसेसिंग की सहमति वापस ले सकते हैं।
- डेटा उल्लंघन की स्थिति में कंपनियों को तुरंत जानकारी देनी होगी।
डिजिटल कंपनियों की जवाबदेही
ड्राफ्ट में डिजिटल कंपनियों की जिम्मेदारियां भी तय की गई हैं:
- डेटा सुरक्षा उपाय: डेटा एन्क्रिप्शन और मास्किंग जैसे उपायों को अपनाना और नियमित ऑडिट कराना।
- डेटा प्रोसेसिंग का खुलासा: डेटा का उद्देश्य और प्रक्रिया सार्वजनिक करनी होगी।
- कानूनी जवाबदेही: बार-बार नियमों का उल्लंघन करने पर कंसेंट मैनेजर्स का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का प्रावधान।
डेटा देश से बाहर नहीं ले जाया जाएगा
कंपनियों को भारतीय नागरिकों का डेटा भारत में ही रखना होगा। केवल कानूनी रूप से स्वीकार्य मामलों में ही डेटा देश से बाहर ले जाने की अनुमति होगी।
डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड और अधिकारी
कानून में डेटा उल्लंघन की स्थिति में शिकायत निस्तारण की व्यवस्था दी गई है।
- कंपनियों को डेटा प्रोटेक्शन अधिकारी की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।
- समाधान न मिलने पर डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड में शिकायत की जा सकेगी।
- बोर्ड के फैसले को अपीलीय प्राधिकरण में चुनौती देने का प्रावधान भी है।
DPDP कानून का महत्व
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) कानून अक्टूबर 2023 में संसद से पास हुआ था। यह कानून नागरिकों को उनके डेटा के संग्रहण, स्टोरेज और प्रोसेसिंग की जानकारी मांगने का अधिकार देता है।
कानून के तहत:
- कंपनियों को यह बताना होगा कि वे किस डेटा का इस्तेमाल कर रही हैं।
- कानून का उल्लंघन करने पर 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
आपकी भागीदारी
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस ड्राफ्ट पर आपत्ति और सुझाव मांगे हैं। आप MyGov.in पर 18 फरवरी तक अपने विचार साझा कर सकते हैं।
इस कदम से नाबालिगों की ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करने और डेटा गोपनीयता को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति होगी।