
The Bikaner Times – शिक्षा अधिकारियों को अब हर महीने चार दिन गांव में रुकना अनिवार्य: निदेशक ने जारी किए सख्त आदेश
बीकानेर। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए अब शिक्षा विभाग सख्त रुख अपना रहा है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने एक अहम आदेश जारी करते हुए प्रदेश के समस्त पीईईओ (प्रधान ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) और उससे ऊपर के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे हर महीने कम से कम चार रातें गांव में रहकर बिताएं। इस दौरान उन्हें ग्रामीणों से मिलकर स्थानीय स्कूलों की समस्याएं जाननी होंगी और उनके समाधान की दिशा में कार्य करना होगा।
यह आदेश शिक्षा मंत्री मदन दिलावर द्वारा अप्रैल में दिए गए निर्देशों की अनुपालना में जारी किया गया है। मंत्री ने स्पष्ट कहा था कि शिक्षा अधिकारियों को अपने क्षेत्र के स्कूलों में नियमित रूप से उपस्थिति दर्ज करवानी चाहिए और शिक्षा व्यवस्था की वास्तविक स्थिति को समझते हुए सुधार के लिए काम करना चाहिए। लेकिन अब तक इन निर्देशों की पालना न होने पर निदेशक ने रिमाइंडर के रूप में यह आदेश जारी किया है।
नए आदेश के अनुसार, अधिकारियों को ग्राम पंचायत क्षेत्र के सभी स्कूलों में जाकर भवन, पेयजल, बिजली, शिक्षण व्यवस्था जैसी मूलभूत आवश्यकताओं पर ग्रामीणों के साथ संवाद करना होगा। इसके अतिरिक्त, स्कूल में विद्यार्थियों की उपस्थिति, अध्यापकों की नियमितता, तथा पठन-पाठन की स्थिति पर भी नजर रखनी होगी।
शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार, अधिकारियों और शिक्षकों को उनके पदस्थापन स्थल से अधिकतम 15 किलोमीटर की परिधि में निवास करना आवश्यक है, ताकि उन्हें नियमानुसार मकान किराया भत्ता (एचआरए) मिल सके। बावजूद इसके, अधिकतर शिक्षक और अधिकारी सौ से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर शहरों से प्रतिदिन अप-डाउन कर रहे हैं। ऐसे में केवल महीने में चार दिन गांव में रुकने के आदेश को लेकर भी कई सवाल उठ खड़े हुए हैं।
शिक्षाविदों का मानना है कि जब एक शिक्षक या अधिकारी को पूरे कार्यकाल में मुख्यालय पर रहना चाहिए, तब महीने में सिर्फ चार दिन रुकने की शर्त नाकाफी है। यह आदेश यदि प्रभावी तरीके से लागू हुआ तो इससे ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था में सुधार की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन इसकी सख्त मॉनिटरिंग भी जरूरी होगी।