राजस्थान में ट्यूबवेल खोदने पर रोक, ड्रिलिंग मशीन का रजिस्ट्रेशन नहीं तो होगी कार्रवाई, देखें बड़ी खबर

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The Bikaner Times – राजस्थान में बोरिंग यानी ट्यूबवेल खोदना अब आसान नहीं होगा। सरकार अवैध रूप से ट्यूबवेल खुदवाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। इस दौरान केेंद्रीय भूमि जल अधिग्रहण की गाइडलाइन के बिना एनओसी के जल का दोहन, ट्यूबवेल खुदवाने के मामले सामने आए, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में राजस्थान में भूजल के गिरते हुए स्तर को लेकर चिंता जाहिर करते हुए यह निर्णय किया गया है। इसको लेकर भूजल मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने जानकारी दी है।

राजस्थान में भू जलस्तर के घटने पर सरकार ने चिंता जाहिर की है। वहीं इस मामले को लेकर केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण की गाइडलाइन नहीं मानने पर अब संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बात भी कही है। मंत्री चौधरी ने बताया कि गाइडलाइन की पालना किए बगैर भूजल दोहन करने पर अवैध ट्यूबवेलों को सील करने, विद्युत सप्लाई को रोकने और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 के भूजल संसाधन के आकलन के अनुसार राज्य के कुल 302 ब्लॉक में से 216 ब्लॉक में अति भूजल दोहन किया जा रहा है। प्रदेश में केवल 38 क्षेत्र ही सुरक्षित है, जहां भूजल दोहन सुरक्षित मात्रा में हो रहा हैं।
राजस्थान में घटते भू जलस्तर को लेकर सरकार ने गहरी चिंता जाहिर की है। इसके लिए अब बिना एनओसी के राजस्थान में भूजल दोहन नहीं किया जा सकेगा। इसको लेकर विभाग ने गाइडलाइन जारी करते हुए बताया कि, जहां नए और मौजूदा उद्योग परियोजनाएं, खनन परियोजनाएं, बृहद जल आपूर्ति, शहरी जल आपूर्ति योजनाएं, खराब जल निष्कषर्ण के लिए एनओसी लेना अनिवार्य होगा। इस दौरान इन संस्थाओं की ओर से जितनी मात्रा में भूजल का दोहन किया जाएगा, उतनी मात्रा के निश्चित अनुपात में भूजल का रिचार्ज किया जाना भी जरूरी होगा, तब भी राज्य सरकार इस श्रेणी को एनओसी जारी करेगी।
इस दौरान सरकार ने कुछ श्रेणियां में एनओसी लेने की छूट दी गई है। इनमे व्यक्तिगत घरेलू उपभोक्ता के पीने के पानी एवं घरेलू कार्यों में उपयोग का पानी, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाएं, सशस्त्र सेना और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल प्रतिष्ठान, कृषि कार्य, छोटे और लघु उद्योग (10 क्यूबिक मीटर प्रतिदिन से कम भूजल निकालते हैं), सभी उद्योग-खनन आधारभूत परियोजनाएं, जो केवल पीने या घरेलू उपयोग के लिए 5 क्यूबिक मीटर प्रतिदिन तक भूजल निकालते हैं। आवासीय अपार्टमेंट और ग्रुप हाउसिंग सोसायटी, पीने के पानी एवं घरेलू कार्य के लिए (प्रतिदिन 20 क्यूबिक मीटर भूजल का दोहन), सरकारी योजनाओं के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की आवासीय इकाइयां को एनओसी लेने से छूट दे गई है।

राजस्थान में बढ़ रहे भूजल दोहन को रोकने के लिए अब सरकार कड़े कदम उठाने जा रही है। इस दौरान ट्यूबवेल की खुदाई करने वाली ड्रिलिंग मशीन का भी रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। इस दौरान इन मशीनों का रिकॉर्ड राज्य सरकार में दर्ज होगा। इसके अलावा गाइडलाइन की अवहेलना करने पर अवैध ट्यूबवेलों को सीज करने, विद्युत सप्लाई को रोकने और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत एनओसी का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ जिला कलेक्टर और एसडीएम को कार्रवाई करने के अधिकार दिए गए हैं। साथ ही सरकार ने सभी कलेक्टर्स और एसडीएम को गाइडलाइन की पालना करवाने की सुनिश्चितता करने के भी निर्देश दिए।
भूजल दोहन की एनओसी हासिल करने के लिए टेलिमेटरिक सिस्टम युक्त टैंपर प्रूफ डिजिटल वाटर फ्लो मीटर लगाना, रूफटॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग एवं रिचार्ज स्ट्रक्चर का निर्माण, डिजिटल जल प्रवाह मीटर के साथ पिजोमीटर लगाना, समय-समय पर भूजल की गुणवत्ता का विश्लेषण और मॉनिटरिंग आवश्यक होगी।उद्योगों को उचित जल प्रबंधन की तकनीक काम में लेनी होगी, जिससे भूजल पर निर्भरता कम हो सके। उपचारित या अनुपचारित जल को एक्वायफर में डालना पूर्णतया निषेध होगा। साथ ही भूजल को प्रदूषित करने की रोकथाम करने के प्रयासों को सुनिश्चित करना होगा। खनन उद्योगों के लिए खनन गतिविधियों, डस्ट सस्पेंशन के दौरान किए जाने वाली जल निकासी प्रक्रिया के दौरान काम में लिए गए जल का उपयोग करना अनिवार्य किया गया है। आधारभूत ढांचों के प्रोजेक्ट में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण अनिवार्य किया गया है।