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भगवान श्री राम की एआई द्वारा बनाई गई तस्वीर सोशल मीडिया पर हो रही है वायरल क्या वास्तव में श्रीराम ऐसे दिखते थे

Thebikanertimes:-भगवान राम की AI Image इमेज इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। एआई द्वारा बनाई गई इस तस्वीर को लेकर दावा किया जा रहा है कि भगवान राम 21 साल की उम्र में ऐसे दिखते होंगे। आइए जानते हैं रामचरित्र मानस और वाल्मीकि रामायण में भगवान राम का स्वरुप कैसा बताया गया है। इस आधार पर जानते हैं भगवान राम की AI इमेज का सच।
भगवान राम की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर छाई हुई है। तस्वीर को लेकर दावा किया गया है कि 21 साल की उम्र में भगवान राम ऐसे दिखते थे। यह तस्वीर एआई ने बनाई है। तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस सहित तमाम ग्रंथों में दिए गए भगवान राम के विवरण के आधार पर उनकी ये तस्वीर एआई ने जनरेट की है। सोशल मीडिया पर लोग जमकर इस तस्वीर की तारीफ कर रहे हैं। लेकिन कई लोग इसे भ्रम और गलत बता रहे हैं। आइए जानते हैं तुलसीदास और
वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण के आधार पर भगवान राम का स्वरूप कैसा दिखता था।

वाल्मीकि रामायण के आधार पर भगवान राम का स्वरुप-
महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में बताया है कि, भगवान श्री राम का चेहरा एकदम चंद्रमा की तरह चमकीला, सौम्य, कोमल और सुंदर था। उनकी आंखे कमल की भांति खबसूरत और बड़ी थी। उनकी नाक उनके चेहरे की तरह ही लंबी और सुडौल थी। उनके होठों का रंग सूर्य के रंग की तरह लाल था और उनके दोनों होठ समान थे। उनके कान बड़े थे और उनके कानों में कुंडल बहुत ही शोभा देते थे। उनके हाथ लंबे घुटने तक थे। जिस वजह से उन्हें आजानुभुज कहा जाता है। उनका शरीर एकदम सामान था। ना ही ज्यादा बड़ा और ना ही ज्यादा छोटा। उनके केस भी बहुत घने, सुंदर और लंबे थे।

रामचरित्र मानस के आधार पर कैसा है भगवान राम का स्वरुप
रामचरित्र मानस में भगवान राम का स्वरूप कुछ इस तरह बताया गया है। रामचरित्र मानस के अनुसार, भगवान राम की आंखें खिले कमल की तरह थी। भगवान राम के मुंख, हाथ और पैर का रंग भी लाल रंग के कमल की तरह हैं। चेहरे पर तेज और सूर्य की तरह आभा है। उनके तन का रंग नीले जलपूर्ण बादल की तरह सुंदर है। उनका रंग मेघ के समान प्रकाश लिए हुए है। भगवान राम के माथे पर तिलक है और उनके शरीर पर मनोहर आभूषण शोभायमान हैं।

अब भगवान राम के स्वरूप को लेकर आपके मन में जो छवि बन रही है आप उसी छवि में राम का ध्यान कीजिए क्योंकि तुलसीदासजी ने लिखा है।” जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। “भगवान राम की छवि को इस एक दोहे में तुलसीदासजी ने व्यक्त कर दिया है और कह दिया है कि प्रभु की छवि तो मनुष्य के मन के अनुरूप है। जो जिस भावना से उन्हें देखता है उसी रूप में प्रभु उसे नजर आते हैं।
वन्ही कुछ लोगो का कहना हैं की ये श्री राम की तस्वीर हो ही नही सकती क्योंकि इसमें श्री राम का
ना तो श्याम वर्ण हैं , ना कानों में स्वर्ण कुंडल हैं और न ही जनेऊ धारण किया हुआ है ।